Sunday, December 8, 2013

इंजीनियरिंग कॉलेज में रात को 10 बजे सोने पर डीन ने छात्र को सेमेस्टर से निकाला


वैसे तो आजकल इंजीनियरिंग कॉलेज अपने छात्रों को मिलने वाली सैलरी के लिए प्रसिद्ध हो रहें हैं पर इनके बीच में कुछ कॉलेज ऐसे भी जो  प्रसिद्ध तो हो रहें हैं परन्तु कुछ और कारणों से।

फरीदाबाद के 1000 गज़ में फैले वहाँ के सर्वश्रेठ कॉलेज  “गुड्डू इंजीनियरिंग कॉलेज “ में बीती रात कॉलेज के छात्र अक्षय को सिर्फ इस कारण से कॉलेज के एक सेमेस्टर से  निकाल दिया गया क्यों कि वो रात को 10 बजे सो गया था।
कॉलेज प्रशासन का कहना है कि इंजीनियरिंग में आके आप का ये मूलभूत कर्त्तव्य है कि आप रात को  2 बजे से पहले नही सो सकते। 2 बजे से पहले सोना ये दर्शाता है कि आप अपने इंजीनियरिंग लाइफ के प्रति सीरियस नही हो। रात को काउंटर स्ट्राइक खेले बिना सोना ये साफ़ संकेत दे रहा है कि आपका ध्यान आजकल इंजीनियरिंग जीवन पे हैं ही नही।
दूसरी तरफ अक्षय ने सफाई देते हुए कहा कि वो पढाई करते हुए इतना थक गया था कि कब नींद आ गई उसे पता भी नही चला। उसका कहना है कि वो प्रतिदिन रात को 2 – 3 बजे से पहले नही सोता परन्तु उस दिन वो 23 घंटे पढ़कर थक गया था इसलिए उसको नींद आ गई।
कॉलेज प्रशासन अक्षय के इस जवाब से सन्तुष्ट नहीं हैं और प्रशासन ने अक्षय के पिता जी को भी नोटिस भेजते हुए लिखा है कि अक्षय कॉलेज के नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा गया हैं इसलिए कॉलेज प्रशासन उससे एक सेमेस्टर के लिए कॉलेज से निकाल रही हैं। कॉलेज ने यहाँ तक लिख दिया कि अगली बार अगर कोई विद्यार्थी कॉलेज में 2 बजे से पहले सोता हुआ मिला तो उसको सेमेस्टर से ही नहीं बल्कि कॉलेज से ही निकाल दिया जायेगा।
कुछ बच्चे जो हमेशा कॉलेज में टॉप करते हैं वो इसका विरोध कर रहे हैं और कह रहे हैं कि कभी कभी लोग रात को अकेले गेम खेलके,पढाई करके  एवम “अन्य प्रकार के कर्म” कर के थक जाते हैं तो नींद आना स्वाभाविक है तो कम से कम महीने में 4 दिन की छूट दी जाये।
हमारे संवाददाता से बात करते हुए अक्षय के दोस्त कुमार ने बताया कि कभी कभी A + लाने के लिए वो 2 -3 दिन तक नही सोता तो नींद आ जाती है अपने आप, परन्तु कॉलेज प्रशासन ने अपने निर्णय में छूट देने से साफ़ इंकार कर दिया है।
हमारे संवाददाता से बात करते हुए कॉलेज के डीन ने भी ये साफ़ कर दिया है कि जरुरत पड़ी तो बच्चों  को रात को मुफ्त में मूवीज,गेम एवं अन्य प्रकार की  सुविधाये दी जाएँगी परन्तु नियमो में छूट देने का सवाल ही नही उठता। उनका कहना हैं कि वो ये कदम इसलिए उठा रहे हैं ताकि  कॉलेज का और यहाँ के बच्चों का नाम न ख़राब हो,ये कहते हुए उन्होंने हमारा फ़ोन काट दिया और कहा कि 10 बज गये हैं और उनका सोने का समय हो गया हैं।

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